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AMD to invest $400 million in India by 2028: Here’s what we know

US chipmaker Advanced Micro Devices said on Friday it will invest around $400 million in India over the next five years and will build its largest design center in the tech hub of Bengaluru. AMD’s announcement was made by its Chief Technology Officer Mark Papermaster at an annual semiconductor conference that started Friday in Prime Minister Narendra Modi’s home state of Gujarat. Other speakers at the flagship event include Foxconn Chairman Young Liu and Micron CEO Sanjay Mehrotra. Despite being a late entrant, the Modi government has been courting investments into India’s nascent chip sector to establish its credentials as a chipmaking hub. AMD said it will open its new design centre campus in Bengaluru by end of this year and create 3,000 new engineering roles within five years. “Our India teams will continue to play a pivotal role in delivering the high-performance and adaptive solutions that support AMD customers worldwide,” Papermaster said. The new 500,000-square-foot (55,5...

किस्सा एचसीएल का: शिव नादर को कैंटीन में आया ख्याल, बरसाती से शुरुआत, कैलकुलेटर बेच कर जुटाया था पैसा, सरकार के एक फैसले से कंपनी को लग गए थे पर

आज देश में शायद ही कोई ऐसा हो जो एचसीएल के बारे में न जानता हो। एचसीएल अपनी इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी सेवाओं के लिए प्रसिद्ध है। 1976 का वो साल, जब दिल्ली क्लॉथ मिल्स में लंच के समय कैंटीन में छह युवा इंजीनियर डीसीएम के कैलकुलेटर डिवीजन में अपने काम से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा कर रहे थे। उनके एक पास एक अच्छी नौकरी थी, जिसमें समय पर सैलरी मिलती थी, लेकिन उनका इरादा कुछ और ही था।

उन 6 लोगों में तमिलनाडु का एक 30 वर्षीय युवा इंजीनियर शिव नादर भी था और यही से हिंदुस्तान कंप्यूटर्स लिमिटेड, एचसीएल की कहानी शुरू हुई। नादर और उनके पांच साथियों ने 1976 में डीसीएम छोड़ दिया। उन्होंने एक कंपनी शुरू करने का फैसला किया जो पर्सनल कंप्यूटर बनाएगी। उन्होंने डीसीएम के कैलकुलेटर डिवीजन में काम करने के दौरान काफी तकनीकी विशेषज्ञता हासिल कर ली थी, लेकिन सभी स्टार्ट-अप की तरह, फंड जुटाना एक बड़ी समस्या थी।

हालांकि, अपनी ड्रीम कंपनी के लिए नादर के जुनून और जोश से भरे उनके साथियों के समर्थन ने इस काम को बहुत आसान बना दिया। CNBC-TV18 से बात करते हुए शिव नादर कहते हैं, ”सबसे पहले मेरी मुलाकात अर्जुन से हुई थी जो मेरी तरह ही एक मैनेजमेंट ट्रेनी था। वह मुझसे जूनियर बैच का था। . . धीरे-धीरे हम बहुत अच्छे दोस्त बन गए और अब भी बहुत अच्छे दोस्त हैं। बाकी सभी जो DCM के लिए काम करते थे, एक ही उम्र के होने के कारण अक्सर साथ-साथ घूमते थे, एक साथ मस्ती करते थे, एक साथ काम करते थे।”

कंप्यूटर बनाने के अपने आइडिया को पंख देने के लिए नादर को सबसे पहले फंड की जरूरत थी। उन्होंने माइक्रोकॉम्प लिमिटेड नाम से एक कंपनी बनाई – जिसके जरिए टेलीडिजिटल कैलकुलेटर बेचने का प्लान था। भारत में कंप्यूटर बनाने के अपने सपने को साकार करने के लिए उठाए गए इस कदम ने उनकी काफी मदद की। उस वक्त उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार से भी सपोर्ट मिला। नादर और उनके साथियों ने 20 लाख रुपए जुटाए और यहां से एचसीएल का जन्म हुआ।

डॉ. गीता पिरामल कहती हैं, ”1977 में जनता पार्टी की सरकार आने के बाद जब जॉर्ज फर्नांडीस उद्योग मंत्री बने तो कुछ भारतीय बिजनेसमैन खुश थे। लेकिन कोका-कोला और आईबीएम के भारत छोड़ने से विदेशी व्यवसायियों में खुशी नहीं थी। आईबीएम के जाने से एक बड़ा बाजार में एक खालीपन आया और यही वह शून्य था जिसमें शिव नादर ने एक अवसर देखा।” एचसीएल ने अपने इन-हाउस माइक्रो कंप्यूटरों की शिपिंग करीब अपने अमेरिकी समकक्ष एप्पल के समय शुरू की और कंपनी को अपने 16 बिट प्रोसेसर को उतारने में केवल दो साल और लगे।

1983 तक, कंपनी ने एक रिलेशनल डेटा आधारित प्रबंधन प्रणाली (आरडीबीएमएस), एक नेटवर्किंग ऑपरेशनल सिस्टम और क्लाइंट-सर्वर आर्किटेक्चर विकसित किया। कंपनी अब आगे की उड़ान देख पा रही थी और उसे वह ऊंचाई नजर आने लगी थी जिसे वह हासिल करना चाहती थी।

1984 में भारत सरकार ने एक नई पॉलिसी की घोषणा की जो पूरे कंप्यूटर उद्योग की किस्मत बदलने वाली थी। सरकार ने कंप्यूटर मार्केट खोल दिया और प्रौद्योगिकी के आयात को मंजूरी दे दी। नए दिशानिर्देशों और रेग्युलेशन्स के साथ, एचसीएल को अपना निजी कंप्यूटर लॉन्च करने का मौका मिल गया। पर्सनल कंप्यूटर की मांग भारतीय बाजार में धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से बढ़ने लगी थी। इसके बाद कंपनी का जो सफर शुरू हुआ, उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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