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AMD to invest $400 million in India by 2028: Here’s what we know

US chipmaker Advanced Micro Devices said on Friday it will invest around $400 million in India over the next five years and will build its largest design center in the tech hub of Bengaluru. AMD’s announcement was made by its Chief Technology Officer Mark Papermaster at an annual semiconductor conference that started Friday in Prime Minister Narendra Modi’s home state of Gujarat. Other speakers at the flagship event include Foxconn Chairman Young Liu and Micron CEO Sanjay Mehrotra. Despite being a late entrant, the Modi government has been courting investments into India’s nascent chip sector to establish its credentials as a chipmaking hub. AMD said it will open its new design centre campus in Bengaluru by end of this year and create 3,000 new engineering roles within five years. “Our India teams will continue to play a pivotal role in delivering the high-performance and adaptive solutions that support AMD customers worldwide,” Papermaster said. The new 500,000-square-foot (55,5...

‘समय की मांग है कम ऊर्जा आवश्यकता वाली इमारतें’

आज समूचा विश्व ग्लोबल वार्मिंग से उपजी चुनौतियों से जूझ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के लिए यूँ तो कई कारक जिम्मेदार हैं, पर धरती का तापमान बढ़ाने में अंधाधुंध शहरीकरण और बेतहाशा ऊर्जा-खपत वाली इमारतों की भी बड़ी भूमिका है। इसे लेकर आवश्यक जागरूकता का भी अभाव है। ऐसे में, ऊर्जा-खपत की दृष्टी से मितव्ययी इमारतें आज की बड़ी आवश्यकता है। इस बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस इंडिया) ने इंडो-स्विस बिल्डिंग एनर्जी एफिशिएंसी प्रोजेक्ट (बीईईपी) के साथ मिलकर संयुक्त रूप से एक वेबिनार कार्यक्रम आयोजित किया।

सीएमएस एडवोकेसी की डायरेक्टर अनु आनंद ने एनर्जी एफिशिएंट बिल्डिंग्स पर मीडिया के सहयोग से आरंभ किए गए जागरूकता कार्यक्रम के बारे में बताते हुए कहा कि इस मुद्दे पर जागरूकता लाने के प्रयास को सितम्बर 2019 में शुरू किया गया था। इसके लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में राज्य-स्तरीय वर्कशॉप का आयोजन कर लोगों को एनर्जी एफिशिएंट बिल्डिंग्स के बारे में जानकारी दी गयी। इंडो स्विस बिल्डिंग एनर्जी एफिशिएंसी प्रोजेक्ट की सदस्य वर्णिका प्रकाश ने बताया कि भारत में बीईईपी की शुरुआत वर्ष 2011 में हुई थी।

इस अवसर पर भारत स्थित स्विट्जरलैंड दूतावास में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की प्रमुख और काउंसलर डॉ जॉनाथन डेमांज ने एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन (एसडीसी) द्वारा जलवायु परिवर्तन पर चलाए जा रहे ग्लोबल प्रोग्राम पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि ऊर्जा का इस प्रकार उपयोग होना चाहिए कि वह प्रकृति के काम भी आ सके और उसे नुकसान न पहुंचाए। इस लिहाज से इमारतों को बनाने में भी ऊर्जा को सही तरह से और कम क्षय के साथ उपयोग किये जाने की विधि पर जोर देने की आवश्यकता है जिस पर हम काम कर रहे हैं। बीईईपी के अंतर्गत बनायीं जाने वाली आवासीय और व्यावसायिक भवनों और इमारतों में 30% तक कम ऊर्जा की खपत करने वाली इमारतों को बनाने में आवश्यक तकनीकी सहयोग किया जा रहा है। इस दौरान उन्होंने कम ऊर्जा की खपत और प्राकृतिक वायु प्रवाह के लिए हवा महल जैसे अनूठे भवनों का उदाहरण भी दिया।

इस कार्यक्रम में ब्यूरो आफ एनर्जी एफिशिएंसी के डायरेक्टर सौरभ दीद्दी ने एनर्जी एफिशिएंट बिल्डिंग्स के बारे में भारत सरकार के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि गर्मी से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को रोकना इस समय की एक बहुत बड़ी आवश्यकता बन गया है। भारत एयर कंडीशनिंग यानी एसी का उपयोग एक सामान्य चलन बन गया है।इससे जहां बिजली की बड़े पैमाने पर खपत होती है वही हाइड्रोफ्लोरोकार्बंस यानी एचएफसी का भारी मात्रा में उत्सर्जन होता है। हमारे गाँव में आज भी घरों को कुछ इस तरह से बनाया जाता है कि वहां एसी की आवशयकता नहीं पड़ती है। शहरों में भी घरों के लिए वह कार्यविधि अपनाई जा सकती है।

कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश स्टेट हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक नारायण भारत गुप्ता ने आंध्र प्रदेश में चल रही बीएलसी स्कीम के तहत इकोफ्रेंडली अफॉर्डेबल हाउसेस के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि यह समय हमारे लिए अपनी जीवनशैली में परिवर्तन लाकर ऊर्जा के नए स्रोतों का पता लगाने की है ताकि हम प्रकृति के संरक्षण में सहयोग कर सकें।

इस अवसर पर उपस्थित रहे एनवायर्नमेंटल डिजाइन सलूशन के डायरेक्टर तन्मय तथागत ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल के बाद से लोगों की सोच में घर या किसी इमारत को बनाने को लेकर कई तरह से बदलाव आए हैं। इस बदलाव को समझने के लिए हमने एक सर्वे भी किया था जिसके परिणाम काफी आश्चर्यजनक रहे हैं। इसमें घर के अंदर की हवा को बेहतर रखने और रोगजनकों को कम फैलने, मौसम के आधार पर भवन की बेहतर डिजाईन, कम रखरखाव, स्पेस एफिशिएंसी और ग्रीन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने की बात अधिकतम व्यक्तियों ने की। सौरभ ने बताया कि ऊर्जा की खपत भवनों द्वारा भी होती है इसके बारे में जागरूकता का काफी अभाव है। ऐसे में कम ऊर्जा की खपत वाले भवनों और इमारतों के निर्माण के लिए लोगों तक जानकारी पहुंचना और इसकी स्वीकार्यता ही समय सबसे बड़ी आवश्यकता है।

इंडो-स्विस बिल्डिंग एनर्जी एफिशिएंसी प्रोजेक्ट (बीप) स्विस परिसंघ के विदेश मामलों के संघीय विभाग (पीएफडीए) और भारत सरकार के ऊर्जा/बिजली मंत्रालय के बीच एक संयुक्त उपक्रम है। इसमें ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी ऊर्जा/बिजली मंत्रालय की ओर से अधिकृत क्रियान्वयन एजेंसी है, जबकि एफडीएफए की ओर से स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड को-ऑपरेशन को यह दायित्व मिला है। (इंडिया साइंस वायर)

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